रक्षा उत्पादों में धाक जमा चुकी कानपुर की रक्षा इकाइयां एक और कीर्तिमान स्थापित करने जा रही हैं। इस बार यहां से बनी जेवीपीसी गन देश की संसद की सरक्षा करेंगी। जिसकी शनिवार को 100 गनों की एक खेप आगरा सीआईएसएफको भेज भी दी गयी है और आने वाले दिनों में इन गनों को तेजी से बनाया जाएगा। सीमा पर तैनात सैनिकों की रक्षा और दुश्मनों का खात्मा करने के लिए कानपुर की विश्व विख्यात लघु शस्त्र निर्माण द्वारा अनेकों गनों बन्दूकोंद्ध को बनाया गया है। इसी कड़ी में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए 2017 में कानपर पाटीई पूना के संयुक्त प्रयासों से जेवीपीसी का निर्माण किया गया। इसका सफल परीक्षण भारत के विभिन्न अर्ध सैनिक बल एंव राज्य पुलिस बलों द्वारा हो चुका है। सफल परीक्षण के बाद लगभग दस हजार जेवीपीसी गन का आर्डर लघ शस्त्र निर्माण को मिल चुका है। जिसमें से छत्तीसगढ़ पुलिसए मणिपुर पुलिसए जम्मू कश्मीर पुलिसए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल को गनों की आपर्ति की . जा चुकी है। शनिवार को केन्द्रीय 4 औद्योगिक सुरक्षा बल सीआईएसएफद्ध के 200 जेवीपीसी के आर्डर में से 100 गनों की एक खेप और एक हजार कारतूसों का हस्तांतरण सीआईएसएफके आगरा यूनिट को किया गया। जेवीपीसी हथियार की मारक क्षमता की तुलना विश्व विख्यात हथियार दिवस की हार्दिक जैसे एमपी.5ए एमपी.7ए पी.2000 से की जा सकती है। यह एक राउण्ड में 50 कारतूसों को फेंकती है। इस हस्तांतरण कार्यक्रम में लघु शस्त्र निर्माणी के महाप्रबन्धक संजय कुमार पटनायक ने बताया कि भविष्य में इन गनों का प्रयोग केन्द्रीय औघोगिक बल द्वारा भारत की संसदए दिल्ली मेट्रो एंव वीवीआईपी की सुरक्षा के लिए प्रयोग किया जायेगा। प्रयोग की सफलता के आधार पर सीआईएसएफसे बल्क आर्डर मिलने की भी अधिक संभावना है। सीआईएसएफआगरा यूनिट ने के कमांडेन्ट बृज भूषण ने कहा कि यह गन आधुनिकता से लैस है और अन्य गनों की अपेक्षा हल्की भी है। जिससे दुश्मनों से लोहा लेते समय जवानों को अधिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। जल्द ही हमारा दूसरा खेप तैयार हो जाएगा आर उस लिया जाएगा। - एक बार